गायत्री मंत्र हिंदी में संपूर्ण परिचय और अर्थ के साथ

गायत्री मंत्र, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, हिंदू धर्म के चार प्रमुख पवित्र ग्रंथों में से एक, यजुर्वेद का हिस्सा है। यह मंत्र वैदिक गायत्री छंद के नाम पर नामित है और देवता सावित्र को समर्पित है, इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है।

गायत्री मंत्र का पाठ निम्नलिखित है:

ॐ भूर्भुवः स्वः ।
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र

इस मंत्र का सामान्य अर्थ है: “हम उस सर्वाधिक पूज्य परमेश्वर का ध्यान करते हैं, जिसने सृष्टि की रचना की है, जिसकी चमक (दैवी प्रकाश) सभी क्षेत्रों (भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक) को प्रकाशित करती है। हमारी बुद्धि को यह दैवी प्रकाश प्रकाशित करे।

“गायत्री मंत्र को वेदों का सार माना जाता है। यह एक सार्वभौमिक प्रार्थना है जो अभिव्यक्त और पारलौकिक दैवत्व को समर्पित है। इस मंत्र का उपयोग ध्यान में किया जाता है और इसे मान्यता है कि इसमें आध्यात्मिक, भावनात्मक, और मानसिक शक्तियाँ होती हैं।

प्रभु श्रीराम जी के तारक मंत्र को भी पढ़िए: श्री राम तारक मंत्र: एक विश्वास और शक्ति का स्रोत

गायत्री मंत्र का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और अर्थ:

गायत्री मंत्र का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं। यह मंत्र सृष्टि के निर्माता और प्रकाश के देवता, सविता को समर्पित है।

गायत्री मंत्र का अर्थ और व्याख्या विभिन्न संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन इसका मूल संदेश सभी में समान है: दैवी प्रकाश की खोज और उसके द्वारा आत्मा की उन्नति। यह मंत्र एक व्यक्ति को उसके आत्मिक पथ पर मार्गदर्शन करता है, और उसे अपनी आत्मा की गहराईयों में झांकने की क्षमता देता है।

गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करने में मदद मिलती है। यह एक व्यक्ति को उसके आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाता है, और उसे अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है। इसलिए, गायत्री मंत्र का पाठ करना एक आत्मिक यात्रा का हिस्सा है, जो व्यक्ति को उसके आत्मिक सत्य की खोज में मदद करता है।

गायत्री मंत्र का रहस्य क्या है?

गायत्री मंत्र का रहस्य इसके अर्थ और उसके विभिन्न तत्वों में छिपा हुआ है। यह मंत्र वेदों का सार माना जाता है और इसे उच्चतम ब्रह्मा की प्रार्थना के रूप में देखा जाता है।गायत्री मंत्र के तीन भाग हैं: प्रस्तावना, मेधा और प्रार्थना।

प्रस्तावना भाग (ॐ भूर्भुवः स्वः) ब्रह्मांड के तीन लोकों का उल्लेख करता है – भूलोक (भौतिक जगत), भुवलोक (अंतरिक्ष या मनस्तत्व), और स्वर्गलोक (स्वर्ग या आध्यात्मिक जगत)।

मेधा भाग (तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि) सूर्य देवता सविता की उपासना करता है, जिसे ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह भाग हमें उस दैवी ज्ञान की ओर आकर्षित करता है जो हमारे अंधकार को दूर करता है और हमें आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है।

प्रार्थना भाग (धियो यो नः प्रचोदयात्) हमारी बुद्धि को प्रेरित करने की प्रार्थना करता है। यह हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है और हमें अपने आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाता है।इस प्रकार, गायत्री मंत्र का रहस्य इसके अर्थ, उसके तत्वों, और उसके उपयोग में छिपा हुआ है। यह मंत्र हमें आत्मज्ञान की खोज में मार्गदर्शन करता है, हमारी बुद्धि को प्रेरित करता है, और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है।

गायत्री मंत्र किसने लिखा था?

गायत्री मंत्र को विशेष रूप से किसी एक व्यक्ति द्वारा लिखा जाना स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह वैदिक काल का मंत्र है और वेदों को अपौरुषेय माना जाता है, अर्थात् इन्हें मानव द्वारा नहीं बल्कि ऋषियों द्वारा ‘दृष्टा’ (देखा या ‘श्रुत’) के रूप में प्राप्त किया गया है। गायत्री मंत्र ऋग्वेद के तीसरे मंडल के 62वें सूक्त के 10वें मंत्र में पाया जाता है और इसे महर्षि विश्वामित्र के द्वारा ‘दृष्टा’ के रूप में माना जाता है। इसलिए, यद्यपि विश्वामित्र को इस मंत्र के दृष्टा के रूप में पहचाना जाता है, इसे उनके द्वारा ‘लिखा’ नहीं गया था बल्कि वैदिक ज्ञान के रूप में उन्हें प्राप्त हुआ था।

गायत्री मंत्र इतना शक्तिशाली क्यों है?

गायत्री मंत्र की शक्ति उसके अर्थ, उच्चारण, और उसके ध्यान की प्रक्रिया में निहित है। यह मंत्र वेदों का सार माना जाता है और इसे उच्चतम ब्रह्मा की प्रार्थना के रूप में देखा जाता है।

  1. अर्थ: गायत्री मंत्र का अर्थ है कि हम उस सर्वाधिक पूज्य परमेश्वर का ध्यान करते हैं, जिसने सृष्टि की रचना की है, जिसकी चमक (दैवी प्रकाश) सभी क्षेत्रों (भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक) को प्रकाशित करती है। हमारी बुद्धि को यह दैवी प्रकाश प्रकाशित करे। यह अर्थ हमें अपने आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाता है और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है।
  2. उच्चारण: गायत्री मंत्र के उच्चारण में विशेष ध्वनि विज्ञान होता है। इसके प्रत्येक अक्षर और शब्द का उच्चारण चित्त को शांत करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  3. ध्यान: गायत्री मंत्र का जाप करते समय, ध्यान की प्रक्रिया आत्मा को शांत करती है और मन को एकाग्र करती है। यह ध्यान की स्थिति हमें अपने आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाती है और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करती है।

इस प्रकार, गायत्री मंत्र की शक्ति उसके अर्थ, उच्चारण, और ध्यान की प्रक्रिया में निहित है। यह मंत्र हमें आत्मज्ञान की खोज में मार्गदर्शन करता है, हमारी बुद्धि को प्रेरित करता है, और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है।

गायत्री मंत्र बोलने से क्या लाभ होता है?

गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से कई तरह के लाभ होते हैं, जो भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्तर पर होते हैं:

  1. आत्मिक उन्नति: गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है। यह मंत्र व्यक्ति को उच्चतम सत्य की खोज में मार्गदर्शन करता है और उसे अपने आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाता है।
  2. मानसिक शांति: गायत्री मंत्र का उच्चारण मानसिक शांति और स्थिरता लाता है। यह मंत्र चित्त को शांत करता है और ध्यान की स्थिति को बढ़ाता है।
  3. बुद्धि का विकास: गायत्री मंत्र का जाप करने से बुद्धि का विकास होता है। यह मंत्र हमारी बुद्धि को प्रेरित करता है और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इसके उच्चारण से श्वास प्रणाली में सुधार होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  5. ऊर्जा का संचय: गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचय होता है। यह मंत्र आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और व्यक्ति को नई ऊर्जा प्रदान करता है।

इस प्रकार, गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति को भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्तर पर कई लाभ मिलते हैं।

गायत्री मंत्र कितने दिन में सिद्ध होता है?

गायत्री मंत्र को सिद्ध करने का समय किसी विशेष अवधि पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह व्यक्ति की समर्पण भावना, नियमितता, और ध्यान की गहराई पर निर्भर करता है। तथापि, धार्मिक ग्रंथों और गुरुओं के अनुसार, एक व्यक्ति को कम से कम 40 दिनों तक नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस अवधि में, व्यक्ति को रोजाना कम से कम तीन माला (108 * 3 = 324 बार) गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि मंत्र का जाप करते समय व्यक्ति को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए। मंत्र का उच्चारण, ध्यान, और इसके पीछे की भावना, इसके प्रभाव और लाभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए, गायत्री मंत्र को सिद्ध करने के लिए, यह आवश्यक है कि व्यक्ति इसे पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ जाप करे।

गायत्री मंत्र 108 बार पढ़ने से क्या होता है?

गायत्री मंत्र को 108 बार पढ़ने से विभिन्न भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. आत्मिक उन्नति: गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है। यह मंत्र व्यक्ति को उच्चतम सत्य की खोज में मार्गदर्शन करता है और उसे अपने आत्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाता है।
  2. मानसिक शांति: गायत्री मंत्र का 108 बार उच्चारण मानसिक शांति और स्थिरता लाता है। यह मंत्र चित्त को शांत करता है और ध्यान की स्थिति को बढ़ाता है।
  3. बुद्धि का विकास: गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से बुद्धि का विकास होता है। यह मंत्र हमारी बुद्धि को प्रेरित करता है और हमें उच्चतम सत्य की खोज में मदद करता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: गायत्री मंत्र का 108 बार उच्चारण करने से शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इसके उच्चारण से श्वास प्रणाली में सुधार होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  5. ऊर्जा का संचय: गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचय होता है। यह मंत्र आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और व्यक्ति को नई ऊर्जा प्रदान करता है।

संख्या 108 का भी अपना महत्व है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, 108 एक पवित्र संख्या है और इसका उपयोग ध्यान, पूजा, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। इसलिए, गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से इसके लाभ और अधिक होते हैं।

गायत्री मंत्र औरतों को क्यों नहीं पढ़ना चाहिए?

गायत्री मंत्र को पढ़ने के लिए किसी विशेष लिंग, वर्ग, या जाति की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक वैदिक मंत्र है जिसे सभी लोगों द्वारा पढ़ा जा सकता है। यह मान्यता कि महिलाएं गायत्री मंत्र नहीं पढ़ सकतीं, समाज के कुछ हिस्सों में पाई जाती है, लेकिन यह वेदों या अन्य धार्मिक ग्रंथों द्वारा समर्थित नहीं है।वास्तव में, वेदों में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि महिलाएं गायत्री मंत्र नहीं पढ़ सकतीं। यह मान्यता समाज के कुछ विशिष्ट हिस्सों की सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं से उत्पन्न हुई है।

आधुनिक समय में, बहुत सारे धार्मिक गुरु और विद्वान इस बात का समर्थन करते हैं कि महिलाएं भी गायत्री मंत्र का पाठ कर सकती हैं। उनका मानना है कि धार्मिक अधिकार और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लिंग का कोई आधार नहीं होना चाहिए।इसलिए, यदि कोई महिला गायत्री मंत्र का पाठ करना चाहती है, तो उसे इसे पढ़ने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यह मंत्र सभी के लिए है और इसके लाभ सभी को प्राप्त हो सकते हैं।

क्या हम रात में गायत्री मंत्र कर सकते हैं?

गायत्री मंत्र का जाप रात में भी किया जा सकता है। परंपरागत रूप से, गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय, मध्याह्न (दोपहर), और सूर्यास्त के समय किया जाता है, जिन्हें ‘संध्या काल’ कहा जाता है। ये तीनों समय ध्यान और प्रार्थना के लिए उत्तम माने जाते हैं। हालांकि, आध्यात्मिक उन्नति और शांति की खोज में, गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है।

आधुनिक धार्मिक गुरु और विद्वान यह मानते हैं कि मंत्र का जाप व्यक्ति की श्रद्धा और भावना पर निर्भर करता है, और समय की पाबंदी से अधिक महत्वपूर्ण है व्यक्ति की निष्ठा और समर्पण। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति रात में गायत्री मंत्र का जाप करना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है।गायत्री मंत्र का उद्देश्य आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और बुद्धि के विकास को प्रोत्साहित करना है, और यदि रात का समय व्यक्ति के लिए इसे करने के लिए उपयुक्त है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। ध्यान रहे कि मंत्र का जाप करते समय शांत और पवित्र वातावरण होना चाहिए, और व्यक्ति को पूरी एकाग्रता के साथ मंत्र का जाप करना चाहिए।

गायत्री मंत्र किसका प्रतीक है?

गायत्री मंत्र सविता देवता, जो सूर्य के प्रतीक हैं, का प्रतीक है। यह मंत्र वेदों में आता है और इसे ‘वेदमाता’ भी कहा जाता है क्योंकि इसे वेदों का सार माना जाता है। गायत्री मंत्र का पाठन व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, और आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।गायत्री मंत्र के अनुसार, हम सविता देवता से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारी बुद्धि को उजागर करें और हमें सही दिशा दिखाएं। इस प्रकार, गायत्री मंत्र सूर्य, ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक, का प्रतीक है।यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि गायत्री मंत्र का उद्देश्य केवल बाह्य ज्ञान की प्राप्ति नहीं है, बल्कि यह हमें आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

गायत्री माता किसका अवतार है?

गायत्री माता, जिन्हें वेदमाता भी कहा जाता है, वेदों की देवी हैं और उन्हें ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। वे स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के शक्ति स्वरूप हैं और उन्हें अन्य देवी-देवताओं का अवतार नहीं माना जाता है।

गायत्री माता की प्रतिष्ठा वेदों में गायत्री मंत्र के रूप में होती है, जो सविता देवता, यानी सूर्य, की उपासना का मंत्र है। इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।इस प्रकार, गायत्री माता को किसी अन्य देवी या देवता का अवतार मानने की बजाय, वे स्वयं एक अद्वितीय और सर्वोच्च दिव्य शक्ति के रूप में माने जाते हैं, जो सभी देवी-देवताओं के ऊपर हैं और जिनके द्वारा सभी देवी-देवताओं की शक्ति का स्रोत है।

गायत्री मंत्र की सच्चाई

गायत्री मंत्र की सच्चाई इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थ और इसके जाप के द्वारा मिलने वाले लाभों में निहित है। यह मंत्र हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है और इसका उपयोग ध्यान और पूजा के दौरान किया जाता है।

गायत्री मंत्र का उद्देश्य दिव्य प्रकाश की खोज और उसके माध्यम से आत्मा की उन्नति है।गायत्री मंत्र के शब्दों में एक विशेष ध्वनि विज्ञान होता है जो उच्चारण के समय एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसके जाप से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि यह आत्मिक जागरूकता और बुद्धि के विकास को भी बढ़ावा देता है।

गायत्री मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति को आंतरिक शक्ति और सकारात्मकता प्रदान करता है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक दृढ़ता से कर सकता है।गायत्री मंत्र की सच्चाई यह भी है कि यह सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है, चाहे वह किसी भी लिंग, वर्ग, या जाति का हो।

इसका जाप करने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है, और यह सभी को आत्मिक उन्नति की ओर ले जाने का एक साधन है।इस प्रकार, गायत्री मंत्र की सच्चाई इसके दिव्य अर्थ, उच्चारण की शक्ति, और इसके जाप से मिलने वाले अनेक लाभों में निहित है। यह मंत्र व्यक्ति को आत्मिक और बौद्धिक विकास की ओर ले जाने का एक माध्यम है और इसे वेदों का सार माना जाता है।

गायत्री मंत्र के नुकसान

गायत्री मंत्र के नुकसान के बारे में बात करना थोड़ा जटिल है क्योंकि यह एक आध्यात्मिक प्रार्थना है जिसे विशेष रूप से लाभकारी और शुद्धिकरण के लिए माना जाता है। हिन्दू धर्म में, गायत्री मंत्र को बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है, और इसका जाप करने से आमतौर पर आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और बुद्धि के विकास के लाभ होते हैं।हालांकि, कुछ परंपराएं और विश्वास हैं जो यह सुझाव देते हैं कि मंत्रों का जाप यदि गलत तरीके से किया जाए तो इससे नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। यहाँ कुछ संभावित नुकसान हैं जो गलत तरीके से गायत्री मंत्र का जाप करने से हो सकते हैं:

  1. गलत उच्चारण: यदि गायत्री मंत्र का उच्चारण गलत तरीके से किया जाए, तो इससे उसके अर्थ में बदलाव हो सकता है, जिससे उसके लाभों के बजाय नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
  2. अनुचित भावना: मंत्र का जाप यदि बिना समर्पण और श्रद्धा के किया जाए, तो इससे वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं।
  3. अनुचित समय या स्थान: कुछ परंपराएं यह सुझाव देती हैं कि मंत्रों का जाप कुछ विशेष समय और स्थान पर किया जाना चाहिए। यदि इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो इससे भी नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
  4. अत्यधिक जाप: कुछ लोगों का मानना है कि मंत्रों का अत्यधिक जाप करने से भी असंतुलन हो सकता है, जिससे मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

यह महत्वपूर्ण है कि गायत्री मंत्र का जाप करते समय उचित विधि, श्रद्धा, और समझ के साथ किया जाए। यदि आपको इस मंत्र के उच्चारण या उपयोग के बारे में संदेह है, तो आपको एक अनुभवी गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक से मार्गदर्शन लेना चाहिए।

कौन सा गायत्री मंत्र शक्तिशाली है?

गायत्री मंत्र अपने आप में एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है और इसे हिन्दू धर्म में सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। यह मंत्र वेदों से लिया गया है और इसका जाप व्यक्ति को आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और बुद्धि के विकास में मदद करता है। गायत्री मंत्र का पाठ निम्नलिखित है:

ॐ भूर्भुवः स्वः ।
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

इस मंत्र का अर्थ है कि हम उस दिव्य प्रकाश का ध्यान करते हैं जो सभी लोकों को प्रकाशित करता है, और हम प्रार्थना करते हैं कि वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।गायत्री मंत्र की शक्ति इसके उच्चारण, अर्थ और ध्यान की गहराई में निहित है। इसका जाप व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने के लिए किया जाता है। इसलिए, गायत्री मंत्र को ही सबसे शक्तिशाली माना जाता है और इसके अलावा किसी अन्य विशेष गायत्री मंत्र की जरूरत नहीं होती। यह मंत्र सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है और इसके जाप से सभी को लाभ हो सकता है।

निष्कर्ष

गायत्री मंत्र हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। यह मंत्र वेदों से लिया गया है और इसका जाप व्यक्ति को आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और बुद्धि के विकास में मदद करता है। गायत्री मंत्र की सच्चाई इसके दिव्य अर्थ, उच्चारण की शक्ति, और इसके जाप से मिलने वाले अनेक लाभों में निहित है।हालांकि, गायत्री मंत्र का जाप करते समय उचित विधि, श्रद्धा, और समझ के साथ किया जाना चाहिए। गलत उच्चारण या अनुचित भावना के साथ जाप करने से नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। यदि किसी को इसके उच्चारण या उपयोग के बारे में संदेह हो, तो उन्हें एक अनुभवी गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक से मार्गदर्शन लेना चाहिए।गायत्री मंत्र की शक्ति इसके उच्चारण, अर्थ और ध्यान की गहराई में निहित है। इसका जाप व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने के लिए किया जाता है। इसलिए, गायत्री मंत्र को ही सबसे शक्तिशाली माना जाता है और इसके अलावा किसी अन्य विशेष गायत्री मंत्र की जरूरत नहीं होती। यह मंत्र सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है और इसके जाप से सभी को लाभ हो सकता है।

आपको हमारे आर्टिकल से गायत्री मंत्र की सम्पूर्ण परिचय अर्थ साथ मिला होगा कृपया इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के सात शेयर करे। धन्यवाद।

Leave a Comment