श्री राम स्तुति अर्थ सहित: आदर्श राजा का आदर्श गुणवत्ता अर्थ सहित

भारतीय सांस्कृतिक धारा में श्री राम, एक प्रिय देवता और आदर्श राजा के रूप में सामान्य हैं। इस लेख में, हम श्री राम स्तुति के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे, जिसे समझकर हम अपने जीवन को अधिक मूल्यवान बना सकते हैं। श्री राम स्तुति में, भगवान राम के विभिन्न गुणों का सराहना होता है। उनका धर्मपरायणता, सामर्थ्य, और सच्चे मनबुद्धी से युक्त होना उन्हें एक आदर्श राजा बनाता है।

श्री राम स्तुति सम्पूर्ण परिचय

श्री राम स्तुति एक आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण गीत है जिसमें भगवान श्री राम की स्तुति की गई है। यह स्तुति भगवान राम के गुणों, उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों, और उनके दिव्यता को वर्णन करती है। श्री राम स्तुति का पाठ करने से भक्तों को आत्मिक शांति, संतुष्टि, और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।

श्री राम स्तुति में भगवान राम के विभिन्न रूपों, उनके दिव्य गुणों, और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह स्तुति भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा देती है और भक्तों को उनके दिव्यता और महानता के प्रति आदर और सम्मान की भावना उत्पन्न करती है।

श्री राम स्तुति का पाठ करने से भक्तों को आत्मिक शांति, संतुष्टि, और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह स्तुति भक्तों को धर्म, न्याय, सत्य, और प्रेम के मूल्यों के प्रति जागरूकता दिलाती है, जो भगवान राम के जीवन का हिस्सा थे।

श्री राम स्तुति का पाठ विशेष तौर पर रामनवमी, दशहरा, और दीपावली जैसे त्योहारों पर किया जाता है, लेकिन भक्त इसे रोजाना भी पढ़ सकते हैं। इसका पाठ करने से भक्तों को आत्मिक आनंद, शांति, और संतुष्टि मिलती है, और यह उन्हें अपने जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा लाने में मदद करती है।

श्री राम स्तुति

 ।।श्रीराम वन्दना।।

श्रीरामचन्द्र रघुपुङ्ग व राजवर्य राजेन्द्र राम रघुनायक राघवेश।

राजाधिराज रघुन्दन रामचन्द्र दासोअहमद्य भवतः शरणागतोअस्मि।।

              ।।अथ श्री राम स्तुति।।

श्री राम स्तुति श्रीरामचंद्र कृपालु, भजु मन हरण भव भय दारुणं।

नवकंज-लोचन, कंजमुख, कर-कंज पद कंजारुणं।।

कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं।

पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरं।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकन्दनं।

रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं।।

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।

मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं।।

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।

करुना निधान सुजान सीलू सनेहु जानत रावरो।।

एहि भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।

तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली।।

सोरठा:-

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

            ।।इति श्रीराम स्तुति।।

   ।।बोलो सियावर रामचन्द्रजी की जय।।

        ।।बोलो सीताराम सीताराम।।

श्री राम स्तुति
श्री राम स्तुति

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श्री राम स्तुति अर्थ सहित

यहां हमने श्री राम स्तुति की अर्थ हिंदी भाषा में उपलब्ध किये हे आप पहले मन्त्र को पड़के उसके बाद श्री राम स्तुति की उस चरण के बारे में अर्थ जानिये और प्रभु श्रीराम की कृपा में पात्र होजाये।

श्री राम स्तुति श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नवकंज-लोचन, कंजमुख, कर-कंज पद कंजारुणं।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-हे मेरे अथिर मन तु सभी पर अपनी कृपा करने वाले और सब पर समान दृष्टि रखने वाले श्रीरामचन्द्र जी की भक्ति भाव और उनका गुणगान कर, वे जगत के आने-जाने की योनि के भयंकर कष्ट के डर निवारण करने वाले हैं, श्रीरामचन्द्रजी के चक्षु नये बने हुए पंकज पुष्प की तरह कोमल हैं, मुख-हस्त और उनके चरण भी लाल पंकज पुष्प के समान हैं।

कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरं।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-श्रीरामचन्द्रजी के शरीर की सुंदरता की छवि अगणित सुंदर एवं आकर्षक मन को मोहित करने वाले कामदेवों से भी ज्यादा है। श्रीरामचन्द्रजी की देह नए गहरे आसमानी रंग के या नील कमल के पौधे के रंग के जल से पुरीपूर्ण बादल रूप के समान सुंदर रंग है, पीले आकाश जैसा बादल रूप शरीरों में मानों तड़ित के समान चमक रहा है, ऐसे पवित्र जानकी के पति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ। 

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकन्दनं।
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं।।

श्री राम स्तुति अर्थ:- हे मेरे चित से भटके हुए मन, दिनों के बन्धु, भास्कर की अग्नि के समान तेजस्वी, राक्षस एवं दानवों के वंश का पूरी तरह नाश करने वाले, आनँदकंद, कौशल देशरूपी आकाश में निर्मल सोम के समान श्री दशरथ नंदन श्रीराम जी का भजन कर।

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-भिन्न-भिन्न तरह के रत्नो से जड़ा हुआ मुकुट पर जो मस्तक पर धारण किये हुए हैं, जिनके कानों में कुंडल धारण किये हैं, सुन्दर तिलक भाल पर सुशोभित हो रहा है और शरीर के सभी अंगों पर आभूषण से सजित है, जो कि बहुत ही मन को आकर्षित करने वाला रूप हैं। भुजाएँ घुटनों तक लम्बी है, हाथों में धनुष-बाण को लिए हुए हैं, खर-दूषण दैत्य को संग्राम में पराजित करके विजय प्राप्त की है, उन श्रीरामजी को में वंदन करता हूँ।

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-जो मुनियों, शेष और भोलेनाथ के मन को खुश करने वाले हैं, काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं को नष्ट करके अच्छे भाव को जाग्रत करने वाले हैं, तुलसीदासजी अरदास करते हैं, की वे श्री रघुनाथजी मेरे हृदयकमल में हमेशा रहे।  

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलू सनेहु जानत रावरो।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-जिसमें तुम्हारा मन आकर्षित हो गया एवं उसकी छवि तुम्हारे मन के हृदय में घर कर चुकी हैं, वही स्वभाव से सुंदर सांवला वर(श्रीरामचंद्रजी) तुमको प्राप्त होंगे। वह दया के सागर और सुजान अर्थात सभी तरह को जानने व सभी जगह पर निवास करने वाले हैं, तुम्हारे शील या मर्यादा और प्रेम-अनुराग को को जानने वाले है।

एहि भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-इस तरह श्रीगौरी जी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी सहित समस्त सखियाँ हृदय में हर्षित हुई। तुलसीदासजी कहते हैं-सीताजी मन से बहुत खुश होती है, क्योंकि माता भवानीजी को बार-बार पूजकर खुशी के साथ अपने राजमहल की ओर चल पड़ती हैं।

सोरठा

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम स्तुति अर्थ:-गौरी जी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो खुशी हुई उसको व्यक्त नहीं कि जा सकती हैं, जो उनको खुशी हुई उनके लिए तो सबकुछ उन्होंने प्राप्त कर लिया हैं। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बायें अंग भी फड़कने लगे थे, उनको अपने मन की कामना की सिद्धि का संकेत मिल रहा था।

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श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन कहाँ से लिया गया है?

“श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन” एक लोकप्रिय हिन्दी भजन है जिसे 17वीं शताब्दी के संत और कवि गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था। यह भजन उनके द्वारा रचित “तुलसी सागर” नामक ग्रंथ से लिया गया है। इस भजन में भगवान श्री राम की स्तुति की गई है और उनके दिव्य गुणों, करुणा, और अनुकम्पा का वर्णन किया गया है। यह भजन भक्तों के द्वारा भगवान राम की आराधना और स्तुति के लिए गाया जाता है।

श्री राम स्तुति कैसे करें?

श्री राम स्तुति को एक श्रद्धापूर्वक और भक्तिभाव से किया जाना चाहिए। यह एक आध्यात्मिक अनुभव है जो व्यक्ति को दिव्य स्फीति में ले जाता है। निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

  1. मन को शुद्ध करें: स्तुति करने से पहले, मन को शांति और शुद्धि की दिशा में लेना महत्वपूर्ण है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन को स्थिर करें।
  2. पूजा और आराधना: श्री राम की मूर्ति, फोटो, या यदि संभावना हो तो उनका प्रतिमा के सामने पूजा करें। इसके साथ ही, अपने भक्तिभाव से उनकी आराधना करें।
  3. श्री राम स्तुति पढ़ें: अब, श्री राम स्तुति को श्रद्धापूर्वक पढ़ें। इसमें भगवान राम के गुणों, कार्यों, और लीलाओं की महिमा होती है।
  4. भक्ति भाव से जपें: ज्यों कि श्री राम का नाम एक मंत्र की भूमिका निभाता है, उसे भक्ति भाव से जपना चाहिए। माला का उपयोग करके उनके नाम का जाप करें।

श्री राम स्तुति करने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:

  1. स्नान आदि से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। यह सुनिश्चित करें कि आपका मन शांत और एकाग्र हो।
  2. एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहां आप बिना किसी व्यवधान के स्तुति कर सकें।
  3. भगवान राम की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। यदि संभव हो तो एक छोटी पूजा स्थापित करें।
  4. दीपक जलाएं और धूप या अगरबत्ती का प्रयोग करें। इससे आपके आस-पास का वातावरण पवित्र और शांतिपूर्ण हो जाएगा।
  5. अपने हाथों को जोड़कर और आंखें बंद करके भगवान राम का ध्यान करें। उनके दिव्य रूप की कल्पना करें और उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को मन में जगाएं।
  6. फिर श्री राम स्तुति का पाठ शुरू करें। आप निम्नलिखित प्रसिद्ध स्तुति का पाठ कर सकते हैं:”श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणम्।
    नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥”इस स्तुति को आप धीरे-धीरे और श्रद्धा के साथ पढ़ें।
  7. स्तुति के पाठ के बाद, कुछ समय ध्यान में बिताएं और भगवान राम से अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  8. अंत में, भगवान राम को प्रणाम करें और उनके दिव्य गुणों का ध्यान करते हुए अपनी स्तुति समाप्त करें।

श्री राम स्तुति का पाठ नियमित रूप से करने से आपको आत्मिक शांति और भगवान राम की कृपा प्राप्त होगी।

श्री राम स्तुति कब पढ़ना चाहिए?

श्री राम स्तुति का पाठ करने का समय विशेष रूप से निर्धारित नहीं होता है, आप इसे किसी भी समय पढ़ सकते हैं। हालांकि, यह मान्यता है कि अगर आप हनुमान जी की पूजा करते समय श्री राम स्तुति का पाठ करते हैं, तो यह उन्हें प्रसन्न करता है. विशेष रूप से, मंगलवार के दिन, जो हनुमान जी का दिन माना जाता है, श्री राम स्तुति का पाठ करना शुभ माना जाता है. इसलिए, अगर आप विशेष रूप से किसी समय पर श्री राम स्तुति पढ़ना चाहते हैं, तो हनुमान जी की पूजा के समय या मंगलवार के दिन यह पढ़ना शुभ हो सकता है.

श्री राम स्तुति को पढ़ने का सही समय व्यक्ति की आध्यात्मिक रूचि और दिनचर्या के अनुसार हो सकता है। हालांकि, कुछ विशेष समय इसे पढ़ने के लिए अधिक उपयुक्त हो सकते हैं:

  1. सुबह का समय: श्री राम स्तुति को सुबह के समय पढ़ना आत्मा को ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान कर सकता है और दिन को पॉजिटिव ढंग से शुरू करने में मदद कर सकता है।
  2. संध्या का समय: शांति और सकारात्मकता की भावना के साथ, संध्या के समय इसे पढ़ना भी उपयुक्त हो सकता है, जिससे दिन को सकारात्मकता से समाप्त किया जा सकता है।
  3. रात्रि में: श्री राम स्तुति को रात्रि में पढ़कर शांति और आत्मा को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान किया जा सकता है, जिससे नींद में भी सुकून मिल सकता है।

श्री राम स्तुति पड़ने की लाभ

श्री राम स्तुति का पाठ करने से हिन्दू धर्मानुसार अनेक लाभ माने गए हैं। यहाँ कुछ मुख्य लाभ दिए गए हैं:

  1. तनाव मुक्ति और एकाग्रता में सुधार: नियमित रूप से राम स्तुति का जाप करने से तनाव कम होता है और एकाग्रता तथा फोकस में सुधार होता है12.
  2. स्वास्थ्य में सुधार: यह माना जाता है कि राम स्तुति का जाप स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है12.
  3. व्यापार और रचनात्मकता में वृद्धि: राम स्तुति का जाप व्यापार और रचनात्मकता में सुधार करने के लिए भी कहा जाता है12.
  4. ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति: ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, राम स्तुति का जाप नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव से राहत प्रदान करता है12.
  5. पारिवारिक संबंधों में सुधार: नियमित रूप से राम स्तुति का पाठ पारिवारिक संबंधों में सुधार करता है12.
  6. आध्यात्मिक जागृति और सुरक्षा: राम स्तुति का जाप आध्यात्मिक जागरूकता को जगाता है और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है3.
  7. आत्म-सम्मान और इच्छाशक्ति में वृद्धि: लगातार राम स्तुति का जाप करने से व्यक्ति का आत्म-सम्मान, मानसिक ऊर्जा और इच्छाशक्ति बढ़ती है4.
  8. आर्थिक स्थिरता: यह माना जाता है कि राम स्तुति का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है4.
  9. सामंजस्य और शांति का प्रचार: राम स्तुति का जाप करने से सामंजस्य और शांति आती है, और परिवार के सदस्यों के बीच सहयोग बढ़ता है4.
  10. जीवन में सफलता: निरंतर राम स्तुति का जाप करने से व्यक्ति को जीवन में बहुत सफलता मिलती है4.

यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि ये लाभ पारंपरिक विश्वासों और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित हैं, और व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। ऐसी प्रथाओं को सम्मान और ईमानदारी के साथ अपनाने की सलाह दी जाती है।

श्री राम का बीज मंत्र कौन सा है?

श्री राम का बीज मंत्र है “ॐ श्री रामाय नमः”। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति श्री राम के आदर्शों और गुणों को अपने जीवन में स्थापित कर सकता है। मंत्र का नियमित जाप करने से चित्त शांत होता है और आत्मा में साक्षात्कार होता है।

श्री राम मंत्र कैसे सिद्ध करें?

श्री राम मंत्र को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

  1. आध्यात्मिक शिक्षक से संप्राप्ति: श्री श्री राम मंत्र को सिद्ध करने के लिए आध्यात्मिक शिक्षक से मंत्र दीक्षा प्राप्त करें।
  2. मंत्र का नियमित जाप: मंत्र का नियमित और निष्ठापूर्वक जाप करें। यह ध्यान को स्थिर करने और आत्मा के साथ सम्बन्ध स्थापित करने में मदद करता है।
  3. शुद्ध और सात्विक जीवनशैली: मंत्र साधना के दौरान शुद्ध और सात्विक जीवनशैली का पालन करें। यह आपके मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।
  4. ध्यान और प्राणायाम: ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन को स्थिर करें और मंत्र के जाप के समय अपने आत्मा के साथ एकाग्रता में रहें।

इन कदमों का पालन करके व्यक्ति श्री श्री राम मंत्र को सिद्ध कर सकता है और अपने आत्मा को परमात्मा के साथ एक कर सकता है।

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श्री राम मंत्र के सिद्धि के लाभ:

  1. मानसिक शांति: श्री श्री राम मंत्र का नियमित जाप करने से मानसिक शांति मिलती है। यह मन को स्थिर करता है और स्वयं को दिव्य स्वरूप में अनुभव करने में मदद करता है।
  2. आत्मा के साथ संबंध: यह मंत्र आत्मा को परमात्मा के साथ मिलाने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। व्यक्ति अपनी आत्मा को अधिक जानने और समझने में सक्षम होता है।
  3. कार्यों में सकारात्मक प्रभाव: श्री श्री राम मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के कार्यों में सकारात्मक प्रभाव बनता है। यह उसे नैतिकता, सत्य, और सही दिशा में अग्रसर करता है।
  4. आत्म-नियंत्रण: मंत्र के सिद्धि से व्यक्ति अपने आत्म-नियंत्रण को प्राप्त करता है। वह अपने मानसिक और भौतिक क्षेत्रों में संतुलन बनाए रखता है और अपने जीवन को सफलता की दिशा में अग्रसर करता है।
  5. रोग निवारण: श्री श्री राम मंत्र का नियमित जाप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है। यह व्यक्ति को स्वस्थ और प्रशांत रखने में सहायक होता है।

निष्कर्ष

श्री राम स्तुति की सिद्धि से व्यक्ति अपने जीवन को सत्य, नैतिकता, और आत्मा के साथ मिलाकर एक सकारात्मक दृष्टिकोण में देखता है। यह न केवल उसके आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि उसे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता भी प्रदान करता है। इसलिए, यह मंत्र एक आध्यात्मिक साधना के रूप में व्यक्ति को उच्चतम जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

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