Rahim Ke Dohe In Hindi – रहीम के दोहे हिंदी में।

Rahim Ke Dohe In Hindi – रहीम के दोहे हिंदी में (Rahim Ke Dohe In Hindi), we have presented poet Rahim’s couplets on this post.

Rahim Ke Dohe In Hindi – रहीम के दोहे हिंदी में

रहीम के दोहे हिंदी में (Rahim Ke Dohe In Hindi), हम इस पोस्ट पे कवी रहीम के दोहे (Rahim Ke Dohe) को प्रस्तुत किये हे। रहीम एक सार्वकालीन कवी थे। रहीम दास के दोहे मानव जाती को सन्मार्ग की और ले चलता हे। इस पोस्ट पे शेयर किये हर एक रहीम के दोहे आपको माना संसार में मानव की जीवन कैसे होना चाहिए और मानव को कैसे जीना चाहिए वो बतलातीये हे। पहले हम रहीम दास के जीवन परिचय पढ़ लेते हैं।

अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना जी के जीवनी संक्षिप्त रूप में। | Brief biography of Abdurrahim Khan-e-Khana

रहीम के दोहे हिंदी में (Rahim ke dohe in hindi), रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के प्रेमी कवि थे। रहीम का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि एवं विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सदभाव तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक थे। रहीम कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे।

Rahim Ke Dohe In Hindi - रहीम के दोहे हिंदी में।
Rahim Ke Dohe In Hindi – रहीम के दोहे

अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना का जन्म संवत् १६१३ (1613) ई. में अर्थात (सन् १५५३ – 1553) में इतिहास प्रसिद्ध बैरम खाँ के घर लाहौर में हुआ था। संयोग से उस समय सम्राट हुमायूँ सिकंदर सूरी का आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए सैन्य के साथ लाहौर में मौजूद थे। बैरम खाँ के घर पुत्र की उत्पति की खबर सुनकर वे स्वयं वहाँ गये और उस बच्चे का नाम “रहीम”। अकबर ने रहीम का पालन पोषण एकदम धर्म- पुत्र की भांति किया।

कुछ दिनों के पश्चात अकबर ने विधवा सुल्ताना बेगम से विवाह कर लिया। अकबर ने रहीम को शाही खानदान के अनुरुप “मिर्जा खाँ’ की उपाधि से सम्मानित किया। रहीम की शिक्षा- दीक्षा अकबर की उदार धर्म निरपेक्ष नीति के अनुकूल हुई। इसी शिक्षा- दिक्षा के कारण रहीम का काव्य आज भी हिंदूओं के गले का कण्ठहार बना हुआ है। दिनकर जी के कथनानुसार अकबर ने अपने दीन-इलाही में हिंदूत्व को जो स्थान दिया होगा,

उससे कई गुणा ज्यादा स्थान रहीम ने अपनी कविताओं में दिया। रहीम के बारे में यह कहा जाता है कि वह धर्म से मुसलमान और संस्कृति से शुद्ध भारतीय थे। रहीम की शिक्षा समाप्त होने के पश्चात सम्राट अकबर ने अपने पिता हुमायूँ की परंपरा का निर्वाह करते हुए, रहीम का विवाह बैरम खाँ के विरोधी मिर्जा अजीज कोका की बहन माहबानों से करवा दिया। रहीम का विवाह लगभग सोलह साल की उम्र में कर दिया गया था।

अकबर के दरबार को प्रमुख पदों में से एक मीर अर्ज का पद था। यह पद पाकर कोई भी व्यक्ति रातों रात अमीर हो जाता था, क्योंकि यह पद ऐसा था, जिससे पहुँचकर ही जनता की फरियाद सम्राट तक पहुँचती थी और सम्राट के द्वारा लिए गए फैसले भी इसी पद के जरिये जनता तक पहुँचाए जाते थे। इस पद पर हर दो- तीन दिनों में नए लोगों को नियुक्त किया जाता था। सम्राट अकबर ने इस पद का काम काज सुचारु रूप से चलाने के लिए

अपने सच्चे तथा विश्वास पात्र अमीर रहीम को मुस्तकिल मीर अर्ज नियुक्त किया। यह निर्णय सुनकर सारा दरबार सन्न रह गया। इस पद पर आसीन होने का मतलब था कि वह व्यक्ति जनता एवं सम्राट दोनों में सामान्य रूप से विश्वसनीय है। रहीम ने अवधी और ब्रजभाषा दोनों में ही कविता की है जो सरल, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण है। उनके काव्य में श्रृंगार, शांत तथा हास्य रस मिलते हैं तथा दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त और सवैया उनके प्रिय छंद हैं।

मुस्लिम धर्म के अनुयायी होते हुए भी रहीम ने अपनी काव्य रचना द्वारा हिन्दी साहित्य की जो सेवा की उसकी मिसाल विरले ही मिल सकेगी रहीम जी की कई रचनाएँ प्रसिद्ध हैं जिन्हें उन्होंने दोहों के रूप में लिखा। इन दोहो में नीति परक का विशेष स्थान है। रहीम के ग्रंथों में रहीम दोहावली या सतसई, बरवै, नायिका भेद, श्रृंगार, सोरठा, मदनाष्टक, राग पंचाध्यायी, नगर शोभा, फुटकर बरवै, फुटकर छंद तथा पद, फुटकर कवितव, सवैये, संस्कृत काव्य सभी प्रसिद्ध हैं।

इन्होंने तुर्की भाषा में लिखी बाबर की आत्मकथा “तुजके बाबरी” का फारसी में अनुवाद किया। “मआसिरे रहीमी” और “आइने अकबरी” में इन्होंने “खानखाना” व रहीम नाम से कविता की है। रहीम जी का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। यह मुसलमान होकर भी कृष्ण भक्त थे। इन्होंने खुद को “रहिमन” कहकर भी सम्बोधित किया है। इनके काव्य में नीति, भक्ति, प्रेम और श्रृंगार का सुन्दर समावेश मिलता है। उनकी कविताओं, छंदों, दोहों में पूर्वी अवधी, ब्रज भाषा तथा खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है। पर मुख्य रूप से ब्रज भाषा का ही प्रयोग हुआ है। भाषा को सरल, सरस व मधुर बनाने के लिए इन्होंने तदभव शब्दों का अधिक प्रयोग किया है। ऐसे थे हमारे रहीम कवि

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रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहितRahim ke dohe in hindi

रहीम के दोहे 1 – Rahim ke dohe in hindi

Rahim Ke Dohe In Hindi - रहीम के दोहे हिंदी में।
Rahim Ke Dohe In Hindi – रहीम के दोहे हिंदी में।

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय । |

अर्थ – मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.

रहीम के दोहे 2 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय ।

टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय । |

अर्थ – रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

रहीम के दोहे 3 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।

जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।|

अर्थ – रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए. जहां छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है?

रहीम के दोहे 4 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुहँ स्याह ।

नहीं छलन को परतिया, नहीं कारन को ब्याह ।|

अर्थ – कवि रहीम कहते हैं कि कुछ समय के लिए मनुष्य अपने मुहँ पर कालिमा क्यों लगाए? दूसरी स्त्री को धोखा नहीं दिया जाता और न ही विवाह ही किया जा सकता.

रहीम के दोहे 5 – Rahim ke dohe in hindi

गुन ते लेत रहीम जन, सलिल कूप ते काढि।

कूपहु ते कहूँ होत है, मन काहू को बाढी ।

अर्थ – रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार लोग रस्से के दवारा कुएँ से पानी निकल लेते हैं उसी प्रकार अच्छे गुणों द्वारा दूसरों के ह्रदय में अपने लिए प्रेम उत्पन्न कर सकते हैं क्योंकि किसी का हृदय कुएँ से अधिक गहरा नहीं होता।|

रहीम के दोहे 6 – Rahim ke dohe in hindi

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।

चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।

अर्थ – रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते.

रहीम के दोहे 7 – Rahim ke dohe in hindi

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार।

रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार।

अर्थ – यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.

रहीम के दोहे 8 – Rahim ke dohe in hindi

जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं।

गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं।

अर्थ – रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती.

रहीम के दोहे 9 – Rahim ke dohe in hindi

जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह।

धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह।

अर्थ – रहीम कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए.

रहीम के दोहे 10 – Rahim ke dohe in hindi

खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय।

रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय।|

अर्थ – खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.

रहीम के दोहे 11 – Rahim ke dohe in hindi

दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं।

जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं।|

अर्थ – कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती।लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है.

रहीम के दोहे 12 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ।

जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ।

अर्थ – रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.

रहीम के दोहे 13 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।

सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय।|

अर्थ – रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.

रहीम के दोहे 14 – Rahim ke dohe in hindi

पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।

अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन।|

अर्थ – वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया है. अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं। हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता. अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है. उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है.

रहीम के दोहे 15 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय।

हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।|

अर्थ – रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।

रहीम के दोहे 16 – Rahim ke dohe in hindi

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।

बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग।|

अर्थ – रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है. जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है, उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता है.

रहीम के दोहे 17 – Rahim ke dohe in hindi

समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात।

सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात।|

अर्थ रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है.

रहीम के दोहे 18 – Rahim ke dohe in hindi

रहिमन मनहि लगाईं कै, देखि लेहू किन कोय।

नर को बस करिबो कहा, नारायन बस होय।|

अर्थ – कविवर रहीम के मतानुसार मन लगाकर कोई काम कर देखें तो कैसे सफलता मिलती है। अगर अच्छी नीयत से प्रयास किया जाये तो नर क्या नारायण को भी अपने बस में किया जा सकता है।

रहिमन मनहि लगाईं कै, देखि लेहू किन कोय। नर को बस करिबो कहा, नारायन बस होय।|अर्थ कविवर रहीम के मतानुसार मन लगाकर कोई काम कर देखें तो कैसे सफलता मिलती है। अगर अच्छी नीयत से प्रयास किया जाये तो नर क्या नारायण को भी अपने बस में किया जा सकता है।

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