भारत, एक ऐतिहासिक और धार्मिक राष्ट्र, जिसे अपने विविधता और विरासत के लिए जाना जाता है, यहाँ पर एक रोचक प्रश्न उत्पन्न होता है: “भारत का सबसे पुराना राम मंदिर कौन सा है?” इस लेख में, हम इस प्रश्न का उत्तर खोजेंगे और भारतीय सांस्कृतिक विरासत के इस महत्वपूर्ण हिस्से को समझने का प्रयास करेंगे।
भारत का सबसे पुराना राम मंदिर कौन सा है?
भारत का सबसे पुराना प्रभु श्री राम जी का मंदिर: भारत का सबसे प्राचीन श्री राम मंदिर तो अयोध्या की राम मंदिर था जिसे बाबर ने 1528–29 ईसवी में तोड़ दिया था। वर्तमान में भगवान राम का प्राचीन मंदिर रामचौरा मंदिर (https://en.wikipedia.org/wiki/Ramchaura_Mandir) हाजीपुर में बताया जाता है। रामचौरा मंदिर भारत के बिहार राज्य में हाजीपुर के पास रामभद्र में स्थित भगवान राम को समर्पित एक प्रमुख राम मंदिर है।
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह रामायण काल से अस्तित्व में है; ऐसा माना जाता है कि राम ने जनकपुर जाते समय इस स्थान का दौरा किया था, जहां उनके पैरों के निशान की पूजा की जाती है।
अपनी शिक्षा अवधि के दौरान अयोध्या के प्रसिद्ध राजा भगवान श्री राम चंद्र यहां आए थे और उन्होंने अपना मुंडन (पहला सिर मुंडन संस्कार) करवाया था। इसलिए यह मंदिर उनके पदचिन्हों पर बनाया गया था।
प्रभु श्री राम जी के और 10 प्रमुख मंदिर
- अयोध्या राम मंदिर, उत्तर प्रदेश (Ayodhya Ram Mandir, Uttar Pradesh)
- राम राजा मंदिर, मध्य प्रदेश (Ram Raja Temple, Madhya Pradesh)
- सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर, तेलंगाना (Sita Ramachandraswamy Temple, Telangana)
- रामास्वामी मंदिर, तमिलनाडु (Ramaswamy Temple, Tamil Nadu)
- कालाराम मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र (Kalaram Temple, Nashik, Maharashtra)
- त्रिप्रयार श्री राम मंदिर, केरल (Thriprayar Sri Rama Temple, Kerala)
- राम मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा (Ram Mandir, Bhubaneswar, Odisha)
- कोदंडाराम मंदिर, कर्नाटक (Kodandarama Temple, Karnataka)
- श्री राम तीरथ मंदिर, अमृतसर (Shri Ram Tirath Temple, Amritsar)
- रघुनाथ मंदिर, जम्मू (Raghunath Temple, Jammu)
अयोध्या राम मंदिर, उत्तर प्रदेश (Ayodhya Ram Mandir, Uttar Pradesh)

अयोध्या में स्थित राम मंदिर भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है। इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के भक्तों द्वारा बहुत समय से की जा रही थी और 2020 में आखिरकार भूमि पूजन के साथ निर्माण कार्य शुरू हुआ था।
राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में स्थित राम जन्मभूमि पर हुआ है, जिसमें भगवान राम का विराजमान होगा। यह एक विशाल और प्राचीन मंदिर होने का योग्य बन रहा है, जो भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।
राम मंदिर का निर्माण समर्पितता और एकता की भावना को मजबूती से प्रतिष्ठित करता है, जो भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। भक्तों के लिए यह स्थान एक अनुपम धार्मिक अनुभव का केंद्र होने का दावा करता है और एक नए युग की शुरुआत को सूचित करता है।
इस मंदिर का निर्माण सार्वजनिक दान और समर्थन से संभव हुआ है, जिससे समुदाय के भक्तों के बीच एक महत्वपूर्ण सामरिक साहस और सामर्थ्य की भावना उत्पन्न हुई है। यह मंदिर न केवल एक भगवान के मंदिर के रूप में है, बल्कि यह भी एक राष्ट्रीय एकता और समरसता की प्रतीक है।
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राम राजा मंदिर, मध्य प्रदेश (Ram Raja Temple, Madhya Pradesh)

राम राजा मंदिर मध्य प्रदेश के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारतीय राजा राम जी को समर्पित है और मध्य प्रदेश के छतरपुर शहर में स्थित है।
राम राजा मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर एक राजा के महल के अंदर स्थित है और भगवान राम को राजा के स्थान पर पूजा जाता है। मंदिर का निर्माण भूपाल के राजा भागवत राजा ने कराया था और इसे उनके राजगद्दी के समय में एक महल के रूप में बनाया गया था।
यहां भगवान राम की मूर्ति को राजा के सिंहासन पर बिठाया जाता है और उन्हें राजा की अद्वितीयता देने के लिए पूजा जाता है। मंदिर में विशेष रूप से नृत्य और संगीत की प्रदर्शनीयाँ आयोजित होती हैं जो भक्तों को आकर्षित करती हैं।
राम राजा मंदिर एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र है जो अपने ऐतिहासिक महत्व और अनूठी स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले भक्तों को एक शांति और भक्ति भावना का अनुभव होता है।
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सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर, तेलंगाना (Sita Ramachandraswamy Temple, Telangana)

तेलंगाना राज्य के श्रीरामपुरम नगर में स्थित सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है जो भगवान श्रीराम, सीता माता, और लक्ष्मण को समर्पित है। यह मंदिर तेलंगाना के भक्तों के बीच विशेष महत्वपूर्ण है और इसका इतिहास विशेष रूप से प्राचीन और रोचक है।
सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर का निर्माण राजा वाणीतेला ने करवाया था, जिसने इसे एक सुंदर महल के रूप में बनवाया। यहां भगवान राम की मूर्ति को राजा के सिंहासन पर बिठाया जाता है और यह मंदिर भक्तों के बीच एक प्रमुख पिलगांगा के रूप में माना जाता है।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर की छवि को स्थापित करने का उद्देश्य रखता है। मंदिर में छवियाँ, प्रतिमाएं, और चित्रण भी स्थापित हैं जो भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण की कथाओं को दर्शाते हैं।
यहां प्रतिवर्ष रामनवमी उत्सव के दौरान भक्तों की भारी संख्या में आगमन होता है। इस दिन, मंदिर को भक्तों के सुरमई भजनों और कीर्तनों से भरा हुआ देखा जा सकता है। दीपावली, दशहरा, होली, और अन्य हिन्दू त्योहारों के अवसर पर भी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर तेलंगाना के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा है। यहां आने वाले भक्तों को ध्यान, भक्ति, और आत्मिक उन्नति में मदद करने का उद्देश्य है। मंदिर का सुंदर और शांतिपूर्ण परिवेश भक्तों को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है और यह तेलंगाना की धार्मिक सांस्कृतिकता में एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है।
रामास्वामी मंदिर, तमिलनाडु (Ramaswamy Temple, Tamil Nadu)

तमिलनाडु राज्य में स्थित रामास्वामी मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्रीराम को समर्पित है। इस मंदिर का नाम रामास्वामी मंदिर है और यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रामास्वामी मंदिर भक्तों को भगवान श्रीराम के अद्भुत रूप में आराधना करने का एक आदर्श स्थान है। यह मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम नगर में स्थित है, जो भारतीय तीर्थों का एक प्रमुख केंद्र है।
मंदिर का इतिहास: रामास्वामी मंदिर का निर्माण समझदार रजा राजादिराजन ने 12वीं सदी में किया था। इस मंदिर का नाम ‘रामेश्वरम’ राजा राम के नाम से जुड़ा है, जिन्होंने यहां शिव-लिंग पर श्रीराम की पूजा की थी।
मंदिर की शैली: रामास्वामी मंदिर का शैली स्थानीय तमिल वास्तुकला का अद्वितीय प्रतीक है। यह दक्षिण भारतीय वास्तुकला के अनुसार बना हुआ है, जिसमें ताम्र पत्तियों और गोल पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर की ऊचाई, शिखर और शिलाबृंद इसे और भी अद्वितीय बनाते हैं।
तीर्थों का महत्व: रामास्वामी मंदिर के प्रमुख तीर्थ मैनाक्षी तीर्थ, दर्भाराण्येश्वर तीर्थ, आग्नेय तीर्थ, विष्णुपद तीर्थ आदि हैं। इन तीर्थों को स्नान करने से मान्यता मिलती है और भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि का अनुभव होता है।
महत्वपूर्ण उत्सव: मंदिर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जिनमें रामनवमी, कार्तिक पूर्णिमा, महाशिवरात्रि आदि शामिल हैं। इन उत्सवों में भक्तों की भीड़ आती है और धार्मिक आत्मा में समर्पण का माहौल महसूस होता है।
रामास्वामी मंदिर तमिलनाडु का एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्रीराम की पूजा में समर्पित है। इस मंदिर का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है और भक्तों के लिए एक आ
कालाराम मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र (Kalaram Temple, Nashik, Maharashtra)

नासिक, महाराष्ट्र के परम पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक, कालाराम मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और इसे नासिक के धार्मिक और ऐतिहासिक पर्याय के रूप में पूजा जाता है।
कालाराम मंदिर की नींवें शताब्दी में रची गई थी और यह आर्किटेक्चरल ग्रेस से भरा हुआ है। मंदिर का निर्माण कालाराम बाबू, एक ब्राह्मण दानी, ने कराया था जिसने इसे श्री राम की प्रतिष्ठा में बनवाया था। मंदिर की शिखर ऊँची है और इसमें सुंदर कलात्मक सौंदर्य है जो यात्रीगण को आकर्षित करता है।
मंदिर के अंदर, भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियाँ स्थित हैं जो भक्तों को शांति और सुख-शांति की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। मंदिर के प्रांगण में एक विशेष पवित्र कुंड है जिसे ‘रामकुंड’ कहा जाता है और यहां के यात्री धार्मिक स्नान करने आते हैं।
कालाराम मंदिर के आस-पास क्षेत्र में कई अन्य धार्मिक स्थल भी हैं जो इसे एक पूर्णता स्थल बनाते हैं। यहां एक और महत्वपूर्ण स्थल है, जिसे ‘गोधा गाव’ कहा जाता है, जहां भगवान राम ने गोधा की महाप्रस्थान की थी।
इस मंदिर में वर्षभर भक्तों की भीड़ लगती है और विशेष अवसरों पर धार्मिक आयोजन होते हैं। रामनवमी, महाशिवरात्रि और दीपावली जैसे त्योहारों में यहां भक्तों की संख्या बढ़ जाती है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
कालाराम मंदिर नासिक का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाता है। यहां के पवित्र स्थल और श्री राम की मूर्ति ने इसे एक ध्यान और आध्यात्मिकता का केंद्र बना दिया है, जो लोगों को शांति और प्रेरणा प्रदान करता है।
त्रिप्रयार श्री राम मंदिर, केरल (Thriprayar Sri Rama Temple, Kerala)

केरल, भारत का स्वर्गीय स्वरूप के साथ जुड़ा हुआ एक प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक विरासत का राज्य है। यहां के अनगिनत मंदिरों में से एक है, जिसका नाम है “त्रिप्रयार श्री राम मंदिर”। यह स्थल श्रीराम भगवान को समर्पित है और अपनी सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्वपूर्णता के लिए प्रसिद्ध है।
त्रिप्रयार श्री राम मंदिर के इतिहास की गहराईयों में दुनियाभर के भक्त खोजने को मिलते हैं। इसका निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था, जिन्होंने इसे ताम्रपत्रम् लेखित शिलालेखों के साथ संस्कृत ग्रंथों के अनुसार निर्मित किया था। मंदिर का स्थापना स्थल सुभद्रा नदी के किनारे स्थित है, जिसे सुरम्य पर्यावरण ने एक नया आकर्षक रूप दिया है।
मंदिर की विशेषता यह है कि यह रात्रि में सुन्दर रूप से प्रकाशित होता है जिससे यह एक और दृश्यमय अनुभव प्रदान करता है। मंदिर के प्रवेशद्वार पर विशेष विराजमान स्थल है जिसे ‘कोटिकाय’ कहा जाता है, जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थित हैं और जहां भक्तगण आराधना करते हैं।
मंदिर के गर्भगृह में रखी गई भगवान श्रीराम, देवी सीता, भक्त हनुमान और लक्ष्मण की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं, जो यहां के भक्तों को ध्यान और श्रद्धा में लीन करती हैं। मंदिर के स्थल की सुंदरता और उसके आस-पास के प्राकृतिक सौंदर्य ने इसे एक शांतिपूर्ण ध्यान स्थल बना दिया है।
त्रिप्रयार श्री राम मंदिर के आस-पास क्षेत्र में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है जो वर्षभर भक्तों को आकर्षित करता है। यहां का स्थानीय उत्सव त्रिप्रयार एकादशी है, जो देशभर से यात्रीगण को आकर्षित करता है।
त्रिप्रयार श्री राम मंदिर, केरल, एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो भक्तों को आत्मिक शांति और प्रेरणा प्रदान करता है और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाता है।
राम मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा (Ram Mandir, Bhubaneswar, Odisha)

भारत में स्थित धार्मिक स्थलों की संख्या अद्भुत और विविध है, और इसका एक प्रमुख उदाहरण है भुवनेश्वर, ओडिशा का राम मंदिर। यह स्थल हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता, भगवान राम को समर्पित है और इसे उसके आदर्श चरित्र और महत्वपूर्णता के लिए जाना जाता है।
राम मंदिर भुवनेश्वर का एक प्रमुख पिलगाम है और यह स्थानीय और बाहरी भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। इस मंदिर की नींवें 12वीं सदी में रची गई थीं, और इसने समझाया है कि ओडिशा के प्राचीन समय में कैसे विभिन्न सांस्कृतिक स्थल विकसित हुए थे।
मंदिर का आर्किटेक्चर ओडिशा के शैली में है और इसमें विशेषता से शिखर, मुख्य गर्भगृह, और यज्ञशाला शामिल हैं। गर्भगृह में स्थित भगवान राम की मूर्ति आकर्षक है और यहां के भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव में लिपटा देती है।
राम मंदिर का स्थान भुवनेश्वर के एक पहाड़ी पर स्थित है, जिससे यह आसमानी दृश्यों के साथ बहुत ऊँचाई पर स्थित है। यहां से चढ़ते सूर्य के प्रथम किरणों के साथ इस मंदिर का दर्शन करना अद्वितीय एवं आध्यात्मिक अनुभव है।
राम मंदिर भुवनेश्वर में हिन्दू धर्म के विभिन्न उत्सवों के दौरान एक स्थानीय सांस्कृतिक केंद्र भी है। रामनवमी, दीपावली, और दशहरा के त्योहारों में यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है और लाखों भक्त यहां आकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
राम मंदिर भुवनेश्वर, ओडिशा का एक नजरबंद और धार्मिक स्थल है जो भक्तों को सांस्कृतिक समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा में लीन करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इसका समर्थन ओडिशा के पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में हो रहा है और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना हुआ है जो लोगों को आत्मिक शांति और सकारात्मक आत्मसमर्पण की ओर प्रवृत्ति करता है।
कोदंडाराम मंदिर, कर्नाटक (Kodandarama Temple, Karnataka)

कर्नाटक राज्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर है और यहां कई प्राचीन मंदिरों की श्रृंगार भूमि है। इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसका नाम है “कोदंडाराम मंदिर”। यह स्थान श्रीराम भगवान को समर्पित है और इसका नाम श्रीराम के एक रूप “कोदंडराम” से आया है।
कोदंडाराम मंदिर कोरमंगला, कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा है और इसकी नींवें भूमि 17वीं सदी में रची गई थी। मंदिर का निर्माण महाराजा विजयनगर के राजा चिक्कदेव राय ने करवाया था, जिन्होंने इसे श्रीराम भगवान के प्रति अपने विशेष श्रद्धाभाव का प्रतीक बनाया।
मंदिर का स्थान सुरम्य द्रव्यावली और पर्वतीय क्षेत्रों के बीच स्थित है, जिससे यहां का वातावरण शानदार है। मंदिर की भव्य शिखर और इसके अंदर सुंदर मूर्तियाँ यहां के आकर्षण को और बढ़ाती हैं। मंदिर का गर्भगृह, मुख्य मंदिर भवन, और सुंदर रूप से सजीवन रखे गए वातावरण मंदिर को एक अद्वितीय स्थल बनाता है।
मंदिर का स्थान श्रीराम, लक्ष्मण, और सीता जी को समर्पित है और इसमें उनकी मूर्तियाँ आकर्षक और प्राचीन हैं। विशेषता से यहां की सुंदर विग्रहों ने इसे एक पूजनीय और आध्यात्मिक स्थल बना दिया है।
कोदंडाराम मंदिर एक वार्षिक मेले के अवसर पर अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने का कारण भी बना हुआ है। इस मेले में लाखों भक्त और पर्यटक यहां आते हैं और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
कोदंडाराम मंदिर कर्नाटक के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो अपनी सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, और धार्मिक विशेषता के लिए जाना जाता है। इसका समर्थन भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के साथ-साथ यह एक ध्यान और आध्यात्मिकता का केंद्र भी है, जो लोगों को शांति और प्रेरणा प्रदान करता है।
श्री राम तीरथ मंदिर, अमृतसर (Shri Ram Tirath Temple, Amritsar)

अमृतसर, पंजाब का एक शानदार और पवित्र स्थल है, जो अपने सिख धरोहर के साथ-साथ अनूठी हिन्दू धर्मिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी श्रृंगार भूमि में स्थित एक अन्य धार्मिक स्थल है, जिसका नाम है “श्रीराम तीरथ मंदिर”। यह स्थान भगवान राम के पवित्र चरित्र के लिए जाना जाता है और यहां के मंदिर एक आध्यात्मिक और धार्मिक माहौल को दर्शाते हैं।
श्रीराम तीरथ मंदिर की नींवें पंजाब राजा स्वार्णपाल ने स्थापित की थीं, और इस मंदिर का नाम समुद्र मंथन के समय हुआ था जब भगवान राम ने यहां तीर्थ बनाया था। मंदिर का निर्माण एक प्राचीन कट्टा शैली में हुआ है और इसमें आकर्षक शिखर और विशेष वातावरण शामिल हैं।
मंदिर का प्रवेशद्वार विशेषता से भरा हुआ है और इसमें भगवान राम के जीवन से जुड़े कई सुंदर चित्रण और आलेख स्थित हैं। मंदिर के अंदर, भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियाँ स्थित हैं, जो यहां के भक्तों को पूजनीय बनाती हैं।
श्रीराम तीरथ मंदिर का स्थान सुरम्य और शांतिपूर्ण है, जो यहां के यात्रीगण को आत्मिक शांति की अनुभूति कराता है। इस मंदिर का विशेष स्थान है ‘राम कुंज’ जहां भगवान राम ने तपस्या की थी और यहां के यात्रीगण भगवान की पवित्र खाद्य प्रवृत्ति का आनंद लेते हैं।
श्रीराम तीरथ मंदिर का वातावरण विशेष रूप से विशेषता से भरपूर है और इसे विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए चुना जाता है। रामनवमी, महाशिवरात्रि, और विभिन्न पर्वों में यहां भक्तों की भीड़ बड़ती है और विभिन्न पूजा-अर्चना एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
श्रीराम तीरथ मंदिर, अमृतसर, एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है जो भक्तों को श्रीराम भगवान के प्रति श्रद्धाभाव और पूजनीयता में लीन करता है। इसका समर्थन पंजाब के धारोहर और भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सजीव रखने में मदद करता है और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाता है।
रघुनाथ मंदिर, जम्मू (Raghunath Temple, Jammu)

जम्मू कश्मीर का एक अद्वितीय और प्राचीन नगर है, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई पवित्र मंदिर स्थित हैं, लेकिन उनमें से एक महत्वपूर्ण स्थल है “रघुनाथ मंदिर”। यह मंदिर श्रीराम भगवान को समर्पित है और इसका नाम भगवान राम के एक और नाम से आया है।
रघुनाथ मंदिर का निर्माण महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 ईसा पूर्व किया था, जिन्होंने इसे अपने राज्य के राजा महाराजा रंजीत सिंह की स्मृति में बनाया था। मंदिर का स्थान पुरानी जम्मू नगर में है, जिसे महाराजा रंजीत सिंह ने अपने दरबार का केंद्र बनाया था।
मंदिर का आर्किटेक्चर शिखर, मुख्य मंदिर भवन, और यज्ञशाला समेत कई भवनों से मिलकर बना है। मंदिर के प्रवेशद्वार पर विशेष रूप से सुंदर अलंकरण से भरा हुआ है, जो यात्रीगण को आकर्षित करता है।
रघुनाथ मंदिर का अंदर एक विशाल प्रांगण है, जहां भगवान राम की मूर्ति स्थित है, साथ ही दीवारों पर उकेरे गए कई अन्य चित्रण भी हैं जो रामायण के किस्सों को दर्शाते हैं। मंदिर के गर्भगृह में रामलला की विशाल मूर्ति है, जिसे यहां के भक्त श्रद्धाभाव से पूजते हैं।
रघुनाथ मंदिर जम्मू का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जो वर्षभर यात्रीगण को आकर्षित करता है। यहां का विशेष स्थान ‘राम सीता चेत्या’ है, जो रामायण के वीरगल भगवान हनुमान को समर्पित है।
मंदिर के परिसर में कई छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें नौ देवियाँ और देवताएं स्थित हैं जो इसे और भी पौराणिक बनाते हैं। यहां एक प्राचीन पीपल का वृक्ष भी है, जिसे “राम वट” कहा जाता है, जो मान्यता के अनुसार भगवान राम ने इस स्थान पर आशीर्वाद दिया था।
रघुनाथ मंदिर का एक और विशेषता है इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व, जो भक्तों को आत्मिक शांति और पूर्णता की अनुभूति कराता है। यह एक ऐतिहासिक स्थल है जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और लोगों को धार्मिक एवं आध्यात्मिकता में रूचि लेने के लिए प्रेरित करता है।
निष्कर्ष
इस पूरे लेख के माध्यम से हमने जाना कि भारत में स्थित राम मंदिरों में सबसे पुराना और महत्वपूर्ण मंदिर कौन सा है। कोडंडाराम मंदिर, कर्नाटक, नासिक का कालाराम मंदिर, महाराष्ट्र, भुवनेश्वर का राम मंदिर, ओडिशा, जम्मू का रघुनाथ मंदिर, अमृतसर का श्रीराम तीरथ मंदिर और तेलंगाना का श्री सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर ये सभी मंदिर अपनी अनूठी स्थानीयता और सांस्कृतिक महत्व के साथ अद्वितीय हैं। इन मंदिरों में भगवान राम के पवित्र चरित्र का आदर्श दृष्टिकोण प्रकट होता है और यहां के भक्तों को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुंचाने का कारण बनता है। इन मंदिरों के सांस्कृतिक विरासत ने भारतीय समृद्धि और धार्मिकता को बनाए रखने में मदद की है, और इनको एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है जो लोगों को आत्मिक शांति और पूर्णता की अनुभूति के लिए प्रेरित करता है। इन सभी मंदिरों का दौरा करके व्यक्ति भगवान श्रीराम की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कर सकता है और इस पवित्र सफलता का आभास कर सकता है।