Bajrang Baan PDF Download

Bajrang Ban PDF (बजरंग बाण PDF) is a highly revered Hindu hymn dedicated to Lord Hanuman. It is believed to give immense strength and courage to the person who recites it regularly. The hymn is considered very powerful and is believed to protect the devotees who chant Bajrang Baan from all evil and evil spirits.

Bajrang Baan PDF Hymn is a digital version that can be easily downloaded and read on any device. This makes it convenient for people to access hymns from anywhere and anytime. The PDF version of hymns is an excellent option for those who want to learn hymns but need help finding a physical copy everywhere.

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Chanting Bajrang Ban is said to bring luck, success, and prosperity in a person’s life. It is believed to remove obstacles and negative energies and bestow blessings on the person who recites it. This stotra protects from accidents, diseases, and other misfortunes.

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Bajrang Baan PDF Download – बजरंग बाण पीडीएफ डाउनलोड – जो लोग बजरंगी बली श्री हनुमान जी के जप करते हैं, वे सभी प्रकार के कष्टों और दुखों से दूर होते हैं और वे सभी प्रकार के भय से मुक्त होते हैं। कुछ लोग बजरंगी को प्रसन्न करने के लिए या बजरंगी को आशीर्वाद लेने के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, अगर आप बजरंग बाण (Bajrang Baan Lyrics in Hindi) का बी पाठ करने से भक्तों को अपार कृपा प्राप्त होती है।

File NameBajrang Baan PDF Download
File FormatBajrang Baan PDF (बजरंग बाण PDF)
File Size1.0 MB
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बजरंग बली के भक्तों को बजरंगा बाण का जाप करने से कई समस्याओं से मुक्ती प् लेते है। बजरंग बाण का पाठ करने के लिए इसके पाठ की विधि, नियम और सावधानियों के बारे में पता होना जरूरी है। बजरंग बाण (Bajrang Baan in Hindi With PDF) का जाप हमेशा मंगलवार से ही करना चाहिए। बजरंगा बाण का पतन करने से पहले अपनी तन मन को शुद्धि करनी पड़ती हे।

Bajrang Baan PDF Download

hanuman baan lyrics – बजरंग बाण लिरिक्स

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥

जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥

बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥

जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥

यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

Bajrang Baan PDF Download – बजरंग बाण PDF download

हम इस आर्टिकल के माद्यम से (Bajrang Baan PDF Download) बजरंग बाण पीडीएफ डाउनलोड उचित उपलब्ध किये हे। आप निचे दिए गए डाउनलोड बटन कि मध्याम से बजरंग बाण पीडीएफ फ्री डाउनलोड कर सकते हे। रामपूर्ण बजरंग बाण पाठ आप ऑनलाइन पढ़ सकते है और साथ ही बजरंग बाण pdf (Hanuman baan pdf in hindi) भी डाउनलोड कर सकते है कभी भी बिना इंटरनेट के पढ़ने के लिए।

Bajrang Baan Lyrics In Hindi With Meaning – बजरंग बाण पाठ इन हिंदी अर्थ सहित

The Bajrang Baan Lyrics mantra is usually recited 108 times in a group or individually. It is said that reciting this mantra with devotion and faith can help to remove negative energy, bring good luck and success, and protect against danger.

The Bajrang Baan Lyrics are also known for warding off evil energies and spirits and providing relief from black magic and negative influences. It is also said to provide a shield of protection from enemies and negative energies.

Many people recite the Bajrang Baan Lyrics mantra as part of their daily spiritual practice. In contrast, others may recite it during times of difficulty or when seeking specific blessings. It is also common to recite the mantra during Hanuman Jayanti, a Hindu festival that celebrates the birth of Lord Hanuman.

In addition to reciting the mantra, there are other ways to invoke Lord Hanuman’s blessings. These include offering prayers and devotion, reading the Hanuman Chalisa, and visiting Hanuman temples.

It is also important to note that the Bajrang Baan Lyrics should be recited only after permission from a learned Guru and should be recited with the proper pronunciation and devotion.

Bajrang Baan is a powerful and meaningful Hindu mantra that is said to bring blessings and protection from Lord Hanuman. It is good for reciting during difficult times and daily spiritual practice. It’s powerful and should be recited with permission and proper pronunciation.

जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

इस चरण की अर्थ – हे भक्त वत्सल हनुमान जी आप संतों के हितकारी हैं, कृपा पूर्वक मेरी विनती भी सुन लीजिये ।।

जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु पवनपुत्र आपका दास अति संकट में है , अब बिलम्ब मत कीजिये एवं पवन गति से आकर भक्त को सुखी कीजिये ।।

जैसे कूदि सुन्धु के पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।

इस चरण की अर्थ – जिस प्रकार से आपने खेल-खेल में समुद्र को पार कर लिया था और सुरसा जैसी प्रबल और छली के मुंह में प्रवेश करके वापस भी लौट आये ।।

आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।

इस चरण की अर्थ – जब आप लंका पहुंचे और वहां आपको वहां की प्रहरी लंकिनी ने ने रोका तो आपने एक ही प्रहार में उसे देवलोक भेज दिया ।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।

इस चरण की अर्थ – राम भक्त विभीषण को जिस प्रकार अपने सुख प्रदान किया , और माता सीता के कृपापात्र बनकर वह परम पद प्राप्त किया जो अत्यंत ही दुर्लभ है ।।

बाग़ उजारि सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।

इस चरण की अर्थ – कौतुक-कौतुक में आपने सारे बाग़ को ही उखाड़कर समुद्र में डुबो दिया एवं बाग़ रक्षकों को जिसको जैसा दंड उचित था वैसा दंड दिया ।।

अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।

इस चरण की अर्थ – बिना किसी श्रम के क्षण मात्र में जिस प्रकार आपने दशकंधर पुत्र अक्षय कुमार का संहार कर दिया एवं अपनी पूछ से सम्पूर्ण लंका नगरी को जला डाला ।।

लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।

इस चरण की अर्थ – किसी घास-फूस के छप्पर की तरह सम्पूर्ण लंका नगरी जल गयी आपका ऐसा कृत्य देखकर हर जगह आपकी जय जयकार हुयी ।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु तो फिर अब मुझ दास के कार्य में इतना बिलम्ब क्यों ? कृपा पूर्वक मेरे कष्टों का हरण करो क्योंकि आप तो सर्वज्ञ और सबके ह्रदय की बात जानते हैं ।।

जय जय लखन प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।

इस चरण की अर्थ – हे दीनों के उद्धारक आपकी कृपा से ही लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे , जिस प्रकार आपने उनके प्राण बचाये थे उसी प्रकार इस दीन के दुखों का निवारण भी करो ।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।

इस चरण की अर्थ – हे योद्धाओं के नायक एवं सब प्रकार से समर्थ, पर्वत को धारण करने वाले एवं सुखों के सागर मुझ पर कृपा करो ।।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।

इस चरण की अर्थ – हे हनुमंत – हे दुःख भंजन – हे हठीले हनुमंत मुझ पर कृपा करो और मेरे शत्रुओं को अपने वज्र से मारकर निस्तेज और निष्प्राण कर दो ।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज निज दास उबारो ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु गदा और वज्र लेकर मेरे शत्रुओं का संहार करो और अपने इस दास को विपत्तियों से उबार लो ।।

सुनि पुकार हुंकार देय धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रतिपालक मेरी करुण पुकार सुनकर हुंकार करके मेरी विपत्तियों और शत्रुओं को निस्तेज करते हुए मेरी रक्षा हेतु आओ , शीघ्र अपने अस्त्र-शस्त्र से शत्रुओं का निस्तारण कर मेरी रक्षा करो ।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।

इस चरण की अर्थ – हे ह्रीं ह्रीं ह्रीं रूपी शक्तिशाली कपीश आप शक्ति को अत्यंत प्रिय हो और सदा उनके साथ उनकी सेवा में रहते हो , हुं हुं हुंकार रूपी प्रभु मेरे शत्रुओं के हृदय और मस्तक विदीर्ण कर दो ।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।

इस चरण की अर्थ – हे दीनानाथ आपको श्री हरि की शपथ है मेरी विनती को पूर्ण करो – हे रामदूत मेरे शत्रुओं का और मेरी बाधाओं का विलय कर दो ।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।

इस चरण की अर्थ – हे अगाध शक्तियों और कृपा के स्वामी आपकी सदा ही जय हो , आपके इस दास को किस अपराध का दंड मिल रहा है ?

पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।

इस चरण की अर्थ – हे कृपा निधान आपका यह दास पूजा की विधि , जप का नियम , तपस्या की प्रक्रिया तथा आचार-विचार सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं रखता मुझ अज्ञानी दास का उद्धार करो ।।

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।

इस चरण की अर्थ – आपकी कृपा का ही प्रभाव है कि जो आपकी शरण में है वह कभी भी किसी भी प्रकार के भय से भयभीत नहीं होता चाहे वह स्थल कोई जंगल हो अथवा सुन्दर उपवन चाहे घर हो अथवा कोई पर्वत ।।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु यह दास आपके चरणों में पड़ा हुआ हुआ है , हाथ जोड़कर आपके अपनी विपत्ति कह रहा हूँ , और इस ब्रह्माण्ड में भला कौन है जिससे अपनी विपत्ति का हाल कह रक्षा की गुहार लगाऊं ।।

जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।

इस चरण की अर्थ – हे अंजनी पुत्र हे अतुलित बल के स्वामी , हे शिव के अंश वीरों के वीर हनुमान जी मेरी रक्षा करो ।।

बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु आपका शरीर अति विशाल है और आप साक्षात काल का भी नाश करने में समर्थ हैं , हे राम भक्त , राम के प्रिय आप सदा ही दीनों का पालन करने वाले हैं ।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।

इस चरण की अर्थ – चाहे वह भूत हो अथवा प्रेत हो भले ही वह पिशाच या निशाचर हो या अगिया बेताल हो या फिर अन्य कोई भी हो ।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु आपको आपके इष्ट भगवान राम की सौगंध है अविलम्ब ही इन सबका संहार कर दो और भक्त प्रतिपालक एवं राम-भक्त नाम की मर्यादा की आन रख लो ।।

जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।

इस चरण की अर्थ – हे जानकी एवं जानकी बल्लभ के परम प्रिय आप उनके ही दास कहाते हो ना , अब आपको उनकी ही सौगंध है इस दास की विपत्ति निवारण में विलम्ब मत कीजिये ।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।

इस चरण की अर्थ – आपकी जय-जयकार की ध्वनि सदा ही आकाश में होती रहती है और आपका सुमिरन करते ही दारुण दुखों का भी नाश हो जाता है ।।

चरण पकर कर ज़ोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।

इस चरण की अर्थ – हे रामदूत अब मैं आपके चरणों की शरण में हूँ और हाथ जोड़ कर आपको मना रहा हूँ – ऐसे विपत्ति के अवसर पर आपके अतिरिक्त किससे अपना दुःख बखान करूँ ।।

उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर ज़ोरि मनाई ।।

इस चरण की अर्थ – हे करूणानिधि अब उठो और आपको भगवान राम की सौगंध है मैं आपसे हाथ जोड़कर एवं आपके चरणों में गिरकर अपनी विपत्ति नाश की प्रार्थना कर रहा हूँ ।।

ॐ चं चं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।

इस चरण की अर्थ – हे चं वर्ण रूपी तीव्रातितीव्र वेग (वायु वेगी ) से चलने वाले, हे हनुमंत लला मेरी विपत्तियों का नाश करो ।।

ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।

इस चरण की अर्थ – हे हं वर्ण रूपी आपकी हाँक से ही समस्त दुष्ट जन ऐसे निस्तेज हो जाते हैं जैसे सूर्योदय के समय अंधकार सहम जाता है ।।

अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु आप ऐसे आनंद के सागर हैं कि आपका सुमिरण करते ही दास जन आनंदित हो उठते हैं अब अपने दास को विपत्तियों से शीघ्र ही उबार लो ।।

ताते बिनती करौं पुकारी।हरहु सकल दुख विपत्ति हमारी।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु मैं इसी लिए आपको ही विनयपूर्वक पुकार रहा हूँ और अपने दुःख नाश की गुहार लगा रहा हूँ ताकि आपके कृपानिधान नाम को बट्टा ना लगे।

परम प्रबल प्रभाव प्रभु तोरा।कस न हरहु अब संकट मोरा।।

इस चरण की अर्थ – हे पवनसुत आपका प्रभाव बहुत ही प्रबल है किन्तु तब भी आप मेरे कष्टों का निवारण क्यों नहीं कर रहे हैं।

हे बजरंग ! बाण सम धावौं।मेटि सकल दुख दरस दिखावौं।।

इस चरण की अर्थ – हे बजरंग बली प्रभु श्री राम के बाणों की गति से आवो और मुझ दीन के दुखों का नाश करते हुए अपने भक्त वत्सल रूप का दर्शन दो।

हे कपि राज काज कब ऐहौ।अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।

इस चरण की अर्थ – हे कपि राज यदि आज आपने मेरी लाज नहीं रखी तो फिर कब आओगे और यदि मेरे दुखों ने मेरा अंत कर दिया तो फिर आपके पास एक भक्त के लिए पछताने के अतिरिक्त और क्या बचेगा ?

जन की लाज जात एहि बारा।धावहु हे कपि पवन कुमारा।।

भावार्थ:- हे पवन तनय इस बार अब आपके दास की लाज बचती नहीं दिख रही है अस्तु शीघ्रता पूर्वक पधारो।

जयति जयति जय जय हनुमाना।जयति जयति गुन ज्ञान निधाना।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु हनुमत बलवीर आपकी सदा ही जय हो , हे सकल गुण और ज्ञान के निधान आपकी सदा ही जय-जयकार हो।

जयति जयति जय जय कपि राई।जयति जयति जय जय सुख दाई।।

इस चरण की अर्थ – हे कपिराज हे प्रभु आपकी सदा सर्वदा ही जय हो , आप सुखों की खान और भक्तों को सदा ही सुख प्रदान करने वाले हैं ऐसे सुखराशि की सदा ही जय हो।

जयति जयति जय राम पियारे।जयति जयति जय,सिया दुलारे।।

इस चरण की अर्थ – हे सूर्यकुल भूषण दशरथ नंदन राम को प्रिय आपकी सदा ही जय हो – हे जनक नंदिनी, पुरुषोत्तम रामबल्लभा के प्रिय पुत्र आपकी सदा ही जय हो।

जयति जयति मुद मंगल दाता।जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।

इस चरण की अर्थ – हे सर्वदा मंगल कारक आपकी सदा ही जय हो, इस अखिल ब्रह्माण्ड में आपको भला कौन नहीं जानता, हे त्रिभुवन में प्रसिद्द शंकर सुवन आपकी सदा ही जय हो। ।

एहि प्रकार गावत गुण शेषा।पावत पार नहीं लव लेसा।।

इस चरण की अर्थ – आपकी महिमा ऐसी है की स्वयं शेष नाग भी अनंत काल तक भी यदि आपके गुणगान करें तब भी आपके प्रताप का वर्णन नहीं कर सकते।

राम रूप सर्वत्र समाना।देखत रहत सदा हर्षाना।।

इस चरण की अर्थ – हे भक्त शिरोमणि आप राम के नाम और रूप में ही सदा रमते हैं और सर्वत्र आप राम के ही दर्शन पाते हुए सदा हर्षित रहते हैं।

विधि सारदा सहित दिन राती।गावत कपि के गुन बहु भाँती।।

इस चरण की अर्थ – विद्या की अधिस्ठात्री माँ शारदा विधिवत आपके गुणों का वर्णन विविध प्रकार से करती हैं किन्तु फिर भी आपके मर्म को जान पाना संभव नहीं है।

तुम सम नहीं जगत बलवाना।करि विचार देखउँ विधि नाना।।

इस चरण की अर्थ – हे कपिवर मैंने बहुत प्रकार से विचार किया और ढूंढा तब भी आपके समान कोई अन्य मुझे नहीं दिखा।

यह जिय जानि सरन हम आये।ताते विनय करौं मन लाये।।

इस चरण की अर्थ – यही सब विचार कर मैंने आप जैसे दयासिन्धु की शरण गही है और आपसे विनयपूर्वक आपकी विपदा कह रहा हूँ।

सुनि कपि आरत बचन हमारे।हरहु सकल दुख सोच हमारे।।

इस चरण की अर्थ – हे कपिराज मेरे इन आर्त (दुःख भरे) वच्चों को सुनकर मेरे सभी दुःखों का नाश कर दो।

एहि प्रकार विनती कपि केरी।जो जन करै,लहै सुख ढेरी।।

इस चरण की अर्थ – इस प्रकार से जो भी कपिराज से विनती करता है वह अपने जीवन काल में सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त करता है।

याके पढ़त बीर हनुमाना।धावत बान तुल्य बलवाना।।

इस चरण की अर्थ – इस बजरंग बाण के पढ़ते ही पवनपुत्र श्री हनुमान जी बाणों के वेग से अपने भक्त के हित के लिए दौड़ पड़ते हैं।

मेटत आय दुख छिन माहीं।दै दर्शन रघुपति ढिंग जाहीं।।

इस चरण की अर्थ – और सभी प्रकार के दुखों का हरण क्षणमात्र में कर देते हैं एवं अपने मनोहारी रूप का दर्शन देने के पश्चात पुनः प्रभु श्रीराम जी के पास पहुँच जाते हैं।

डीठ मूठ टोनादिक नासैं।पर कृत यन्त्र मन्त्र नहिं त्रासै।।

इस चरण की अर्थ – किसी भी प्रकार की कोई तांत्रिक क्रिया अपना प्रभाव नहीं दिखा पाती है चाहे वह कोई टोना-टोटका हो अथवा कोई मारण प्रयोग , ऐसी प्रभु हनुमंत लला की कृपा अपने भक्तों के साथ सदा रहती है।

भैरवादि सुर करैं मिताई।आयसु मानि करैं सेवकाई।।

इस चरण की अर्थ – सभी प्रकार के सुर-असुर एवं भैरवादि किसी भी प्रकार का अहित नहीं करते बल्कि मित्रता पूर्वक जीवन के क्षेत्र में सहायता करते हैं।

आवृत ग्यारह प्रति दिन जापै।ताकी छाँह काल नहिं व्यापै।।

इस चरण की अर्थ – जो व्यक्ति प्रतिदिन ग्यारह की संख्या में इस बजरंग बाण का जाप नियमित एवं श्रद्धा पूर्वक करता है उसकी छाया से भी काल घबराता है।

शत्रु समूह मिटै सब आपै।देखत ताहि सुरासुर काँपै।।

इस चरण की अर्थ – इस बजरंग बाण का पाठ करने वाले से शत्रुता रखने या मानने वालों का स्वतः ही नाश हो जाता है उसकी छवि देखकर ही सभी सुर-असुर कांप उठते हैं।

तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई।रहै सदा कपि राज सहाई।।

इस चरण की अर्थ – हे प्रभु आप सदा ही अपने इस दास की सहायता करें एवं तेज, प्रताप, बल एवं बुद्धि प्रदान करें।

यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।

इस चरण की अर्थ – यह बजरंग बाण यदि किसी को मार दिया जाए तो फिर भला इस अखिल ब्रह्माण्ड में उबारने वाला कौन है ?

पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।

इस चरण की अर्थ – जो भी पूर्ण श्रद्धा युक्त होकर नियमित इस बजरंग बाण का पाठ करता है , श्री हनुमंत लला स्वयं उसके प्राणों की रक्षा में तत्पर रहते हैं ।।

यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।

इस चरण की अर्थ – जो भी व्यक्ति नियमित इस बजरंग बाण का जप करता है , उस व्यक्ति की छाया से भी बहुत-प्रेतादि कोसों दूर रहते हैं ।।

धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।

इस चरण की अर्थ – जो भी व्यक्ति धुप-दीप देकर श्रद्धा पूर्वक पूर्ण समर्पण से बजरंग बाण का पाठ करता है उसके शरीर पर कभी कोई व्याधि नहीं व्यापती है ।।

Bajrang Baan Lyrics With Image – छवि के साथ बजरंग बाण के बोल

Bajrang Baan PDF Download
Bajrang Baan Lyrics in Hindi With Image

बजरंग बाण पाठ की विधि – Bajrang Baan PDF Download

बजरंग बाण (Bajrang Baan PDF Download) पाठ हमेशा मंगलवार से ही आरंभ करना चाहिए। पाठ करने के लिए मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। जिस स्थान पर भी आप पूजा करना चाहते हैं उस स्थान को अच्छे से साफ करें और भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें। जैसा कि हम सभी जानते हैं भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें और फिर बजरंग बाण (Bajrang Baan PDF Download) का पाठ आरंभ करें। इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें और हमुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें। हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं। कुश से बना आसन बिछाएं और उसपर बैठकर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें। बजरंग बाण (Hanuman Baan PDF Download) पाठ पूर्ण होने के बाद भगवान श्री राम का स्मरण और कीर्तन करें। हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल आदि अर्पित करें।

conclusion

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